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Monday, October 8, 2018

सेहत के ल‍िए हरा आलू है बुरा, जानें कब नहीं खाना चाहिए?

आलू सबके घरों में सामान्यतः हर रोज इस्तेमाल की जाने वाली सब्जी है।बिना आलू  के दूसरे सब्जियों  मजा नहीं आता।
लेकिन क्या आप जानते है की आलू खाते वक्त भी हमें बहुत सी चीजों का ध्यान रखना जरूरी है वरना इससे आपकी तबियत भी खराब ही सकती है।अगर आलू रंगो में अगर बदलाव आ जाए तो वो आलू नहीं खाना चाहिए।
आइए जानते है क्यों?

वैसे तो सामान्यतः हम रोजमर्रा की जिंदगी  में जिस आलू  का प्रयोग करते है वो हल्के मटमैल या भूरे रंग  होता है।पर अगर यही रंग हरे,बैगनी या काले रंग के होने लगे तो समझ लीजिए कि उस वक्त इसे खाया तो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।जब इसका रंग बदलने लगता है तो इसमें न्यूरो टाक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह  से आप अगर इस आलू को खाते है तो आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है।आइए जानते है किस तरह का आलू खाना चाहिए और इससे क्या क्या समस्याएं हो सकती है?

हरा आलू खतरनाक -
आलू  रंग अगर हरा हो जाए तो यह खराब हो जाता है।हरे आलू कैंसर के कारण भी बन सकते है।आलू हरा तभी होता है जब वह जमीन के बाहर निकला होता है और उस पर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है,जिससे सोलनीन का मात्रा बढ़ जाता है।जहा तक हो सके आलू को ठंडे स्थान तथा कम रौशनी में ही रखे,जिससे कि यह ठीक रहता है और ज्यादा दिन तक चलता है।

हो सकती है कैंसर -
हरे आलू में क्लोरोफिल और सोलनीन नाम के ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके बाद इसको खाने से आपको सिरदर्द,उल्टी ,डायरिया और यहां तक कि कैंसर भी ही सकता है।

कब दिखता है इसका असर -
हरे रंग के आलू खाने के 30 मिनट बाद आपको असर दिखाना शुरू कर देता है, या फिर कभी - कभी 8-12 घंटा भी लग जाता है।हरे रंग के आलू खाने के बाद पर से संबंधित बीमारी को आप सबसे पहले देख सकते है।

अंकुरित आलू भी ना खाए -
अंकुरित आलू भी खाना सेहत  लिए हानिकारक होता है।इसमें सोलनिन और
चासोनिन की  मात्रा बढ़ जाने से ग्लाइकोलोकॉल्ड्स नाम का ऐसिड बदल जाता है।यह नर्वस सिस्टम को बहुत ही हानि पहुंचता है।

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