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Tuesday, October 9, 2018

सिक्स्थ सेंस कैसे काम करती है, जाने इसे कैसे बढ़ाएं?


छठी इंद्री यानी सिक्स्थ सेंस जिसके बारे  आप लोगो ने कई बार सुना होगा।वैसे तो इंसान की पांच इन्द्रियां  होती है जिसे देखा और महसूस किया जा सकता है,आख़,कान,नाक,जीभ और त्वचा जो कि देखने,सुनने,सूंघने,स्वाद लेने और स्पर्श करने में सहायक होती है।पर एक छठी इंद्री भी होती है जिसे देख तो नहीं सकते पर इसे महसूस कर सकते है।

                 इसे परामनोविज्ञान भी कहा जाता है।इसके बारे  अभी तक आपने पढ़ा और सुना होगा।पर यह क्या है,कहा है और इसे कैसे जाग्रत कर सकते है।
आइए जानते है -

कहा होती है छठी इंद्री?
दोनों आंखों के मध्य में मस्तिष्क के बीच एक छिद्र होता है जिसे ब्रम्ह रंद्र कहते है।

                            ऋषि मुनियों के अनुसार इडा नाड़ी शरीर  बाए तथा पिंगला दाए तरफ होता है।और बीच में सुषुम्ना नाड़ी पाई जाती है।यह नाड़ी सात चक्रों  के जाग्रत करने और छठी इंद्री का केंद्र माना जाता है।वैसे तो छठी इंद्री सुप्त अवस्था में होती है पर इसे कई तकनीक के माध्यम से जाग्रत किया जाता है।

छठी इंद्री के जाग्रत होने से क्या होता है?
ऋषि मुनियों के अनुसार इसके जागृति होने पर भविष्य के घटनाओं का आभास हो जाता है।कोसो दूर बैठे आदमी की बाते सुन सकते है।किसके दिमाग में क्या विचार चल रहा है उसे पता किया जा सकता है।कहा जतहई की अगर इंसान की छठी इंद्री अगर जाग्रत हो जाए तो उसकी दिमागी शक्ति दस गुना तेज हो जाती है,और वो अपने पास होने वाले गतिविधियों का पहले। सेही आभास कर सकता है।और इसके जागृति हो जाने से इंसान नकारात्मक शक्तियों को भी महसूस कर सकता है।

विज्ञान का कथन
विज्ञान के अनुसार एक रिसर्च में सामने आया कि छठी इन्र्दी जाग्रत होने से हमें भविष्य में होने वाले घटनाओं का आभास हो जाता है।जिसे हम देख भी सकते है और आभास भी कर सकते है,यह हमें होने वाली बातो से बचने के संकेत देती है।करीबन एक तिहाई तक लोगो की छठी इंद्री एक्टिव होती है।

छठी इंद्री जगृत करने की कुछ विधियां

प्राणायाम -
हमारे दिमाग का 15% से 20% हिस्सा ही काम करता है।प्राणायाम की मदद से छठी इंद्री को जागृति किया जा सकता है।प्राणायाम से हमारे शरीर में आक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है जिसकी वजह से हमारे रक्त शुद्ध नाड़ियों में हरकत कोशिकाओं में रोगों लड़ने की शक्ति और छोटे छोटे टिश्यू भी बनाने लगते है।और प्राणायाम करने से चेहरे पर भी निखार आता है।

ध्यान -
दोनों भौहों के मध्य यानी दोनों आंखों के बीच नियमित ध्यान करते रहने से आज्ञा चक्र जागृत होने में सहायता होती है।जो कि हमारी छठी इंद्री के शक्ति को बढ़ाता है।40-50 मिनट रोजाना ध्यान से इसे सिद्ध किया जा सकता है।

त्राटक -
त्राटक से भी छठी इंद्री को जागृत किया जा सकता है।इसके लिए आपको किसी भी एक बिंदु या मोमबत्ती को बिना पालक झपकाए लंबे समय तक देखा जाता है।रोजाना ऐसा करने से एक दिन ऐसी स्थिति भी आती है जब उस बिंदु या मोमबत्ती के सिवा आस पास की कोई भी वस्तु दिखाई नहीं देती वो अवस्था अगर हो तो समझ लीजिए आप छठी इंद्री जागृत करने के करीब पहुंच गए है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन्हें भी आंखों से जुड़ी बीमारी या दिक्कत है वो इस विधि को ना करे।

मौन -
मौन से हमरी शक्तियों पर कट्रोल होता है और इससे हमें बहुत सी शक्तियां और मानसिक विकास होता है।इससे हमारी काल्पनिक शक्ति बढ़ती है और छठी इंद्री के जागृत में मदत मिलती है।

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