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Saturday, November 3, 2018

ज्यादा चाय पीने से बचे हो सकती है हड्डियों में स्केलेटल प्लोरोजिस, और भी जाने

November 03, 2018

जिन लोगों में अर्थराइटिस की बीमारी होती है उनके हड्डियों में दर्द पैदा होती है।चाय पीने से गैस से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं अगर आप की आदत है हर आधे 1 घंटे में चाय पीने की तो सावधान हो जाएं।विशेषज्ञों का कहना है कि आप अगर हर रोज ऐसे ही चाय आधे घंटे पर पीते रहे तो हड्डियों को खतरा हो सकता है चाय की आदत को लोग कई नजर से देखते हैं कोई कहता है कि दिन में चार पांच कप चाय पीना हानिकारक होता है तो कोई कहता है 10 कप पी लो शरीर पर फर्क नहीं पड़ता है। इस बारे में हम आपको बता दें कि चाय का असर पीने वाले के शरीर, समय और चाय बनाने की स्थिति पर निर्भर करता है।

                यह सच है कि चीनी और दूध से बनी चाय रोजाना पीने और ज्यादा पीने से शरीर को नुकसान पहुंचाता है खाली पेट भूख को मिटाने के लिए या खाने के बाद तुरंत ज्यादा मीठा चाय पीने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

चाय से हड्डियों को नुकसान-
अच्छा खान-पान हमारे शरीर को पोषण देता है पर वहीं दूसरी तरफ असंतुलित खान हमारे शरीर को कई तरह के नुकसान भी देता है यह सभी नुकसान तुरंत सामने नहीं आते कुछ लंबे समय के बाद इन चीजों का असर दिखाई पड़ता है और व नुकसान किसी गंभीर बीमारी को भी जन्म दे सकता है।
   
              चाय से हड्डियों को होने वाले नुकसान लंबे समय में सामने आते है ,और यह बड़ी बीमारी का भी जरिया बन सकता है चाय में क्लोराइड नामक खनिज तत्व होते हैं जो हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकते हैं क्लोराइड के ज्यादा सेवन से हड्डियों में स्केलेटल फ्लोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है ।

                Bस्केलेटल फ्लोरोसिस हड्डियों में दर्द पैदा करती है इससे जोड़ों का दर्द कमर दर्द जैसी शिकायतें हो सकती हैं।वैसे क्लोराइड दांतो के लिए फायदेमंद होता है ,पर अगर इसे सामान्य मात्रा में लिया जाए  तो। और अच्छी मात्रा आपको पीने के पानी से ही प्राप्त हो सकती है।

करें उपाय होगा लाभदायक-
चाय पीने की मात्रा पर कंट्रोल करिए। ज्यादा पीने से बचे या फिर ग्रीन टी या हर्बल टी का इस्तेमाल करें। चाय पीने के बाद कुल्ला करें चाय की तलब लगने पर छाछ या नारियल पानी का इस्तेमाल करें।

Tuesday, October 30, 2018

लिप बाम से रखें त्वचा तथा फटे होठों का ख्याल, जाने कैसे?

October 30, 2018

लिप बाम के फायदे-
अक्सर आप लोग फटे होठों के लिए लिप बाम का प्रयोग करते होंगे।पर अगर हम आपसे कहे कि लिप बाम फटे होठों के साथ साथ दूसरे काम में भी आता है तो आप यकीन नहीं करेंगे। जी हां इसका इस्तेमाल आप रूखे बालों को सॉफ्ट बनाने,पैरो के छालो जैसे कार्यों में ले सकते है।
आइए हम आपको लिप बाम के इस्तेमाल के बारे में बताते है -

पैरो की छालों से बचाव -
अक्सर आप जब भी नए जूते या सैंडल पहनते है,तो पैरो में छाले पड़ जाते है।जूते और सैंडल के छालों से बचने के लिए आप पैरो,अंगुलियों और एडियो में लिप बाम लगा सकते है।जिससे आपके पैरो में छाले नहीं पड़ेंगे।

त्वचा के लिए -
आपने अक्सर ही ऐसा देखा होगा कि नाखूनों के पास की त्वचा अपने आप ही छिलने लगती है,ऐसे में आप लिप बाम का प्रयोग करे।लिप बाम त्वचा पर लगाने से त्वचा में नमी बनी रहती है।अक्सर त्वचा रूखे होने पर छिलने लगती है।अगर आपकी एडिया फट रही हो तो ऐसे में भी आप लिप बाम का प्रयोग कर सकते है।

मेकअप के जैसा इस्तेमाल -
अगर आपके पास समय नहीं है आइब्रो बनवाने का तो ऐसे में आप थोड़ा सा लिप बाम आइब्रो पर लगा ले,जिससे कि आइब्रो की सेप सही हो जाती है।अगर आपको अपने गालों को चमकना हो तो भी आप अपने गालों पर हल्का लिप बाम लगा सकते है,जिससे आपके गालों कि साइनिंग बनी रहेगी।

लिप बाम के अन्य इस्तेमाल -
अगर आपके कपड़ों कि जीप यानी चेन काम नहीं कर रही है,तो लिप बाम को चेन पर लगाए।लिप बाम में फिसलन होती है जोकि चेन के लिए अच्छा काम करती है।और चेन नहीं अटकती।अगर कभी आपकी अंगुलियों में अंगूठी अटक जाएं तो लिप बाम को अंगुलियों में लगाए,ऐसा करने से अंगूठी आसानी से अंगुली के बाहर  जाएगी।

Wednesday, October 10, 2018

वजन कम करने के बेस्ट फूड कॉम्बिनेशन ,जानकर हैरान रह जाएंगे

October 10, 2018
Hallo

वजन कम करने के लिए लोग घंटो पसीना बहाते है। डाइट करते है और भी। नजाने क्या क्या करते है।पर अगर भोजन के खान पान की सही कर दिया जाए तो वो भी आपके वजन काम करने में उपयोगी हो सकता है।अगर रोज नियम बनाकर लगातार 30-40 दिन अगर अपने भोजन करने में बदलाव करे तो काफी वजन कम हो सकता है।

जब भोजन को हम सही तरीके से खाते है तो वह पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित करता है।और पाचन तंत्र टॉक्सिन मुक्त रहता है।
आइए जानते है किस भोजन के जरिए आप अपने आप को फिट और फाइन रख सकते है।

अंडा और सिमला मिर्च -
अंडे में प्रोटीन तथा सिमला मिर्च में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।इसमें से पहला आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है तो वहीं दूसरा आपके शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा चर्बी को कम करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।स्वास्थ्य सलाहकार अक्सर इसकी सलाह देते है।

बादाम और सोया मिल्क -
हर रोज अगर भुने बादाम खाएं तो उससे भूख कम लगती है,साथ ही साथ बिना वजन घटाए भरपूर मात्रा में विटामिन ई और मोनोसैचुरेटेड फैट भी मिल जाता है।सोयाबीन से बनाने वाले सोया दूध में काफी मात्रा में प्रोटीन होता है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है।इसमें तमाम तरह के विटामिन,मिनरल्स और जरूरी फैटी ऐसिड होता है।अगर आप सोया मिल्क पिए तो भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलते है।

चावल और मटर -
चावल में कम मात्रा में अमीनो ऐसिड पाया जाता है और इसमें अधूरे प्रोटीन होते है,जिससे कि इसमें मटर डालकर संतुलित फूड कोम्बो बनाया जाता है।चावल और मटर के कॉम्बिनेशन से आपको शरीर के लिए हेल्थी प्रोटीन मिलता है।इसमें आप ब्राउन चावल में बीन्स और मटर भी डाल सकते है।इसमें आपको भरपूर मात्रा में पोटैसियम और मिनरल्स मिलता है जिससे कि आपकी कमजोर मांसपेशियां रिपेयर होती है।

ग्रीन टी के साथ नींबू -
ग्रीन टी सेहत के लिए अच्छा होता है और इसे वजन काम के लिए भी लिया जाता है।अगर आप ग्रीन टी में नींबू डालकर पिए तो यह स्वास्थ्य के लिए और हार्ट के लिए फायदेमंद होता है।

दही और दालचीनी -
जो लोग वजन काम करते है वो निश्चित तौर पर दही खाते है।आप इसे और भी अच्छा बनाते है तो इसमें बस एक चुटकी दालचीनी डालने की जरूरत है।दालचीनी आपके शरीर से चर्बी को कम करता है।

लाल अंगूर और खरबूजा -
लाल अंगूर और खरबूजे का सलाद आपके चर्बी और मोटापे को कम करता है।इससे आपका पेट पतला होता है और बॉडी को मोटा और मजबूत बनाता है। लाल अंगूर बेली फैट भी कम कर देता है,क्योंकि यह एंटी आक्सीडेंट होता है जिसे एंथोसायनिन कहते है।यह चर्बी के बनाने की प्रक्रिया को कम करता है।

काबुली चना और ऑलिव ऑयल -
काबुली चने में मौजूद होता है पोषक तत्व और घुलानिशिल फाईवर जो कि वजन को संतुलित रखने का संपूर्ण फूड है।इसमें भूख को कम करने वाला हार्मोन कोलेसिस्टोकिनिन निकलता है,जिससे लगता है कि पेट भरा हुआ है।इसमें ज्यादा वर्जिन ऑलिव ऑयल बनता है,जोकि शरीर को ज्यादा पोषक तत्व देता है।इसको खाने से सेरोटोनिन का लेवल बढ़ता है,यह हार्मोन बढ़ना सेहत के लिए फायदेमंद है।

चिकन और लाल मिर्च -
चिकन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।इससे भूख भी संतुलित होता है और थोड़ा खाने पर भी लगता है पेट भरा हुआ है।इसमें लाल मिच मिलने से फैट कम होने में मदद मिलती है।लाल मिर्च में मौजूद होते है कैप्सेसिन तत्व जो भूख कम करने और शरीर के अंदर खाने को ऊर्जा में बदलने में सहायक है। इसके प्रयोग से चर्बी तेज़ी से कम होती है।


Tuesday, October 9, 2018

सिक्स्थ सेंस कैसे काम करती है, जाने इसे कैसे बढ़ाएं?

October 09, 2018

छठी इंद्री यानी सिक्स्थ सेंस जिसके बारे  आप लोगो ने कई बार सुना होगा।वैसे तो इंसान की पांच इन्द्रियां  होती है जिसे देखा और महसूस किया जा सकता है,आख़,कान,नाक,जीभ और त्वचा जो कि देखने,सुनने,सूंघने,स्वाद लेने और स्पर्श करने में सहायक होती है।पर एक छठी इंद्री भी होती है जिसे देख तो नहीं सकते पर इसे महसूस कर सकते है।

                 इसे परामनोविज्ञान भी कहा जाता है।इसके बारे  अभी तक आपने पढ़ा और सुना होगा।पर यह क्या है,कहा है और इसे कैसे जाग्रत कर सकते है।
आइए जानते है -

कहा होती है छठी इंद्री?
दोनों आंखों के मध्य में मस्तिष्क के बीच एक छिद्र होता है जिसे ब्रम्ह रंद्र कहते है।

                            ऋषि मुनियों के अनुसार इडा नाड़ी शरीर  बाए तथा पिंगला दाए तरफ होता है।और बीच में सुषुम्ना नाड़ी पाई जाती है।यह नाड़ी सात चक्रों  के जाग्रत करने और छठी इंद्री का केंद्र माना जाता है।वैसे तो छठी इंद्री सुप्त अवस्था में होती है पर इसे कई तकनीक के माध्यम से जाग्रत किया जाता है।

छठी इंद्री के जाग्रत होने से क्या होता है?
ऋषि मुनियों के अनुसार इसके जागृति होने पर भविष्य के घटनाओं का आभास हो जाता है।कोसो दूर बैठे आदमी की बाते सुन सकते है।किसके दिमाग में क्या विचार चल रहा है उसे पता किया जा सकता है।कहा जतहई की अगर इंसान की छठी इंद्री अगर जाग्रत हो जाए तो उसकी दिमागी शक्ति दस गुना तेज हो जाती है,और वो अपने पास होने वाले गतिविधियों का पहले। सेही आभास कर सकता है।और इसके जागृति हो जाने से इंसान नकारात्मक शक्तियों को भी महसूस कर सकता है।

विज्ञान का कथन
विज्ञान के अनुसार एक रिसर्च में सामने आया कि छठी इन्र्दी जाग्रत होने से हमें भविष्य में होने वाले घटनाओं का आभास हो जाता है।जिसे हम देख भी सकते है और आभास भी कर सकते है,यह हमें होने वाली बातो से बचने के संकेत देती है।करीबन एक तिहाई तक लोगो की छठी इंद्री एक्टिव होती है।

छठी इंद्री जगृत करने की कुछ विधियां

प्राणायाम -
हमारे दिमाग का 15% से 20% हिस्सा ही काम करता है।प्राणायाम की मदद से छठी इंद्री को जागृति किया जा सकता है।प्राणायाम से हमारे शरीर में आक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है जिसकी वजह से हमारे रक्त शुद्ध नाड़ियों में हरकत कोशिकाओं में रोगों लड़ने की शक्ति और छोटे छोटे टिश्यू भी बनाने लगते है।और प्राणायाम करने से चेहरे पर भी निखार आता है।

ध्यान -
दोनों भौहों के मध्य यानी दोनों आंखों के बीच नियमित ध्यान करते रहने से आज्ञा चक्र जागृत होने में सहायता होती है।जो कि हमारी छठी इंद्री के शक्ति को बढ़ाता है।40-50 मिनट रोजाना ध्यान से इसे सिद्ध किया जा सकता है।

त्राटक -
त्राटक से भी छठी इंद्री को जागृत किया जा सकता है।इसके लिए आपको किसी भी एक बिंदु या मोमबत्ती को बिना पालक झपकाए लंबे समय तक देखा जाता है।रोजाना ऐसा करने से एक दिन ऐसी स्थिति भी आती है जब उस बिंदु या मोमबत्ती के सिवा आस पास की कोई भी वस्तु दिखाई नहीं देती वो अवस्था अगर हो तो समझ लीजिए आप छठी इंद्री जागृत करने के करीब पहुंच गए है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन्हें भी आंखों से जुड़ी बीमारी या दिक्कत है वो इस विधि को ना करे।

मौन -
मौन से हमरी शक्तियों पर कट्रोल होता है और इससे हमें बहुत सी शक्तियां और मानसिक विकास होता है।इससे हमारी काल्पनिक शक्ति बढ़ती है और छठी इंद्री के जागृत में मदत मिलती है।

Monday, October 8, 2018

सेहत के ल‍िए हरा आलू है बुरा, जानें कब नहीं खाना चाहिए?

October 08, 2018
आलू सबके घरों में सामान्यतः हर रोज इस्तेमाल की जाने वाली सब्जी है।बिना आलू  के दूसरे सब्जियों  मजा नहीं आता।
लेकिन क्या आप जानते है की आलू खाते वक्त भी हमें बहुत सी चीजों का ध्यान रखना जरूरी है वरना इससे आपकी तबियत भी खराब ही सकती है।अगर आलू रंगो में अगर बदलाव आ जाए तो वो आलू नहीं खाना चाहिए।
आइए जानते है क्यों?

वैसे तो सामान्यतः हम रोजमर्रा की जिंदगी  में जिस आलू  का प्रयोग करते है वो हल्के मटमैल या भूरे रंग  होता है।पर अगर यही रंग हरे,बैगनी या काले रंग के होने लगे तो समझ लीजिए कि उस वक्त इसे खाया तो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।जब इसका रंग बदलने लगता है तो इसमें न्यूरो टाक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह  से आप अगर इस आलू को खाते है तो आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है।आइए जानते है किस तरह का आलू खाना चाहिए और इससे क्या क्या समस्याएं हो सकती है?

हरा आलू खतरनाक -
आलू  रंग अगर हरा हो जाए तो यह खराब हो जाता है।हरे आलू कैंसर के कारण भी बन सकते है।आलू हरा तभी होता है जब वह जमीन के बाहर निकला होता है और उस पर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है,जिससे सोलनीन का मात्रा बढ़ जाता है।जहा तक हो सके आलू को ठंडे स्थान तथा कम रौशनी में ही रखे,जिससे कि यह ठीक रहता है और ज्यादा दिन तक चलता है।

हो सकती है कैंसर -
हरे आलू में क्लोरोफिल और सोलनीन नाम के ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके बाद इसको खाने से आपको सिरदर्द,उल्टी ,डायरिया और यहां तक कि कैंसर भी ही सकता है।

कब दिखता है इसका असर -
हरे रंग के आलू खाने के 30 मिनट बाद आपको असर दिखाना शुरू कर देता है, या फिर कभी - कभी 8-12 घंटा भी लग जाता है।हरे रंग के आलू खाने के बाद पर से संबंधित बीमारी को आप सबसे पहले देख सकते है।

अंकुरित आलू भी ना खाए -
अंकुरित आलू भी खाना सेहत  लिए हानिकारक होता है।इसमें सोलनिन और
चासोनिन की  मात्रा बढ़ जाने से ग्लाइकोलोकॉल्ड्स नाम का ऐसिड बदल जाता है।यह नर्वस सिस्टम को बहुत ही हानि पहुंचता है।

Wednesday, October 3, 2018

डीमैट खाता होता क्या है।(what is the demat account)

October 03, 2018



डीमैट खाता होता क्या है।(what is the demat account)
Demat का मतलब होता है कागजी कार्यवाहियों से मुक्त प्रतिभूतियों को डिजीटल रूप से जमा करना, ट्रांसफर करना और सुरक्षित रखना।
जिस तरह पैसा को सुरक्षित रखने और लेन- देन के लिए बैंक अकाउंट की जरूरत होती है,उसी तरह शेयर को सुरक्षित रखने  के लिए डिजीटल तरीके से डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है।
यस.इ.बी.आई  ने साफ - साफ तौर पर  यह कहा है कि भारत  का कोई भी नागरिक डीमैट के बिना अपने शेयर का लेन- देन नहीं कर सकता।
भारत में इसकी दो प्रकार से डिपोजिट  कर सकते है।
1-NSDL-नेशनल सिकयोरिटी डिपोजिटरी लिमिटेड़
2-CDSL-सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेस लिमिटेड़

ये तो बात आपने शेयर के सुरक्षित रखने की प्रक्रिया के बारे में जाना ।पर अगर आपको शेयर  लेन- देन करना हो तो उसके लिए (आईपीओ) एनिशियल पब्लिक ऑफरिंग म भाग लेना होगा जिसके लिए डीमैट की जरूरत पड़ती है।
डीमैट खाते की आवश्यकता क्या और क्यों है?(Necessity of Demat Account)
अगर आप शेयर बाजार में काम करना चाहते है तो इसके लिए आपके पास आपके पास दो तरह के खाते होना जरूरी है।पहला आपके शेयर के लेन - देन के लिए ट्रेडिंग खाता है,यह id के रूप मे transaction करने के काम आता है।और दूसरा आपके शेयर को सुरक्षित रखने के लिए डीमैट खाता है।
पहले शेयर मार्केट का सारा काम कागजी होता था डीमैट खाते की जरूरत नहीं होती थी।पर अब यह आसन हो गया है आप कहीं पर भी बैठ कर अपने मोबाइल या लैपटॉप से या किसी साइबर स्टोर से अपना डीमैट आसानी से खुलवा सकते है।आज बाजार में बहुत सी ऐसी कंपनिया है जो काम पैसा में आपका डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोल देगी वो भी online आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
डीमैट खाते का लाभ क्या है।(Benefits of Demat Account)डीमैट ने मैनुअल तरीके को समाप्त कर दिया है,जिससे शेयर। के लेन देन की प्रक्रिया सुरक्षित और आसन हो गई है।इसी। के साथ ही डीमैट की वजह से बाजार को कई तरह के फायदे भी  हुए है। 
1-डिजीटीकरण (Digitization)- 
डीमैट ने सेयर के सभी कार्य प्रणाली को बदलकर डिजीटल अर दिया है।जिससे आपको online सेयर के लेन-देन और सुरक्षित रख-रखाव की आजादी मिल जाती है।
2- कम लागत (low cost)- 
आप अगर damat एकाउंट खोलना चाहते है तो बहुत आराम से खोल सकते है।और उन सभी की देख भाल ऑनलाइन ही कर सकते है।बहुत सी कंपनियां ऐसी है जो खुच ही घंटे में आपको damat एकाउंट की सुविधा  देती है।
3-आसान(easy) - 
आप एक ही damat से कई शेयर खरीद और बेच सकते है।नए शेयर खरीदने बेचने  लिए आपको दूसरे damat की जरूरत नहीं पड़ती है।
4-ऑटो अपडेट (auto update)- 
जब भी आप शेयर का लेन देन करते है तो वो आपके डिमेट में अपने आप ही अपडेट हो जाती है और और वह तीसरे पक्ष। केसाथ शेयर हो जाती है।
5-सुरक्षित प्रक्रिया (Secure Process)- 
अगर देखा जाए तो डिमेट आपके शेयर को सुरक्षित रखता है जोकी चोरी,धोखाधड़ी,डुप्लीकेट शेयर,गलत वितरण आदि से बचाता है।
6-कागजी कार्यवाही (Paper less) – 
यह पेपर जैसे कार्यों को कम कर देता है और आपके शेयर को ऑनलाइन रूप  से जमा करने और ट्रांसफर करने   की सुविधा देता है।
7-No Stamp Duty –
आपको हस्ताक्षर करने। के लिए कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं देनी पड़ती और लेन देन  के समय कोई हस्ताक्षर भी नहीं करना पड़ता।